Monday, June 29, 2009

Tune jo na kahan....from "New York (2009)

तुने जो न कहा,में वोह सुनता रहा,खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा
तुने जो न कहा,में वोह सुनता रहा,खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा
जाने किसकी हमें लग गयी है नज़र,इस शहर में न अपना टिकाना रहा,कोई चाहत से न अब, अपनी चलता रहा
खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा..............

दर्द फेले से है ज्यादा,खुद से फिर यह वादा, खामोश नज़रें रहे बेजुबान........

अब्ब न पहली सी बातें है, बोलो तो लब थर्थारातें है, राज़ यह दिल का न हो बैयाँ,होगा न अब असर हमपे नहीं,हम सफ़र में तो है हमसफ़र है नहीं........

दूर जाता रहा पास आता रहा,खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा,आया वोह फिर नज़र ऐसे,बात छिड़ने लगी फिर से,आँखों में चुभता कल का धुआं

हाल तेरा न हमसा है, इस ख़ुशी में क्यों गुम्सा है,बसने लगा क्यों फिर वोह जहाँ,जहाँ दूर जिस से गए थे निकल्फिर से आँखों में करती है जैसे पहल

लम्भा बीता हुआ ,दिल दुखता रहा
खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा
तुने जो न कहा,में वोह सुनता रहा,खामखा बेवजह, ख्वाब बुनता रहा

जाने किसकी हमें लग गयी है नज़र,इस शहर में न अपना टिकाना रहा,कोई चाहत से अब्ब अपनी चलता रहा
भुज गई आग थी दाग जलता रहा...

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